नंद किशोर चौधरी ने “Jaipur Rugs” की स्थापना 1978 में की थी जो अभी हस्तनिर्मित कालीनों के भारत में सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है।
ये सफ़र, 1978 में सिर्फ दो करघों (लूम) और नौ कारीगरों के साथ शुरू हुआ। इस यात्रा ने आज चार दशक बाद जयपुर रग्स को एक वैश्विक सामाजिक उद्यम बना दिया है जिसमे 40,000 कारीगरों को स्थायी आजीविका प्रदान करते हुए, 60 से अधिक देशों में निर्यात किया जाता है। यहां भारत के पांच राज्यों के 600 गांव शामिल हैं और जिनमे 80% महिलाएं हैं।
नंद किशोर चौधरी कहते हैं कि “मैं अपनी जीवन यात्रा को अपने जीवन के कठिन चट्टानों का विश्वविद्यालय के रूप में पुकारना पसंद करता हूं क्योंकि इस यात्रा से मेरा परिचय मेरे कॉलेज के बाद हुआ, जो मेरे जीवन की वास्तविक शिक्षा है।”
![Artisans of Jaipur Rugs Artisans of Jaipur Rugs](https://viestories.com/wp-content/uploads/2021/10/Capturergrgr-1024x456.jpg)
2012 में, उनकी बेटी कविता चौधरी ने आर्टिसन ओरिजिनल्स (अब मनचाहा) पहल की शुरुआत की। एक प्रयोग के रूप में जो शुरू हुआ, वह जल्द ही एक आंदोलन में बदल गया। पहली बार, ग्रामीण राजस्थान के बुनकरों को अपने स्वयं के कालीनों के डिजाइनर बनने का मौका मिला और धीरे धीरे प्रत्येक गलीचा कारीगरों के व्यक्तित्व, भावनाओं और जीवन की कहानी का प्रतिबिंब बन गया।
आज, जयपुर रग्स कालीन बनाने के व्यवसाय में एक वैश्विक लीडर है और इसका जीता-जागता उदाहरण है कि कैसे, बेजोड़ उत्पादों के साथ मजबूत मूल्यों को मिलाकर, एक कंपनी सभी के लिए आर्थिक और मानवीय दोनों तरह के लाभ पैदा कर सकती है।