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लेखिका एलिस शर्मा की समाज को अनोखी पेशकश: एनजीओ शुरू कर के गरीबों और आपदा में फंसे लोगों की मदद

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लेखिका एलिस शर्मा की समाज को अनोखी पेशकश: एनजीओ शुरू कर के गरीबों और आपदा में फंसे लोगों की मदद

एलिस शर्मा 7 पुस्तकें लिख चुकी हैं। उन्होंने 21 साल की उम्र में एक ही दिन में चार पुस्तकें लिखने और प्रकाशित करने का रिकॉर्ड “इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स” में दर्ज करवाया है। उन्हें आईएनबीए द्वारा भारत की 100 अग्रणी महिलाओं में से एक के रूप में सम्मानित किया गया है। एलिस शर्मा को आईसीएसआई द्वारा भी “वुमन ऑफ एक्सीलेंस” पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया गया था। यह 23 वर्षीय युवा लेखिका एक सोशल एंटरप्रेन्योर भी हैं, साथ ही एक गैर सरकारी संगठन (NGO) वस्त्र और जिंदगियाँ फाउंडेशन की फाउंडर भी हैं जिसका हेड क्वॉटर् दिल्ली में है और दलित व वंचित वर्गो के उत्थान की दिशा में काम कर रहा है।

एलिस मिडिल क्लास परिवार से हैं और दिल्ली में रहती हैं। एलिस कहती हैं कि “मैं मिडिल क्लास फैमिली से थी। जब मे छोटी थी तब बहुत ज्यादा अंतहीन प्यार और देखभाल ने मुझे बिगाड़ दिया था जो चाची, माँ व दादी से मिला था। मेने बचपन का ये सबसे अच्छा वक्त इन तीनो के साथ गुजारा था। मैंने उनको देखकर जिंदगी को उत्सव के जैसे मनाना सीखा”।

एलिस का पूरा परिवार कानून से जुड़ा हुआ था तो उसे भी कॉलेज के बाद इसी और बढ़ना था, लेकिन किस्मत ने उनके लिए कुछ और सोच रखा था। वह बताती हैं कि “वह गंभीर रूप से टाइफाइड से ग्रसित हो गई थी इसलिए एंट्रेंस परीक्षा में पास होने के बाद भी कॉलेज में प्रवेश नहीं ले सकी और चार महीने बिस्तर पर बिताने पड़े। मुझे भविष्य खतरे में लग रहा था और डर लग रहा था क्युकी कुछ भी समझ मे नही आ रहा था। अब 1 साल के गैप के अलावा और कोई उपाय नहीं था। दिशाहीन होने के कारण मुझे भविष्य के बारे में कुछ भी नहीं सूझ रहा था”।

एलिस ने उस साल के दौरान अपने राइटिंग स्किल्स पर एक्सपेरिमेंट करना शुरू किया। वह याद करते हुए बताती हैं कि “राइटिंग उसके लिए थेरेपी के जैसे काम करने लगा”। उसने मुझे एक नई दिशा दी, जिसकी मुझे बहुत ज्यादा जरूरत थी। मैंने मन से इंस्टाग्राम पर ब्लॉग्स और पोस्ट वगैरह लिखना शुरू कर दिया। सभी लोगों को मेरे पोस्ट अच्छे लगने लगे और प्रशंसा करने लगे। जो मैंने लिखा उसकी लोगो ने बहुत तारीफ करी इसलिए अंततः मैंने अपनी किताब लिखने के लिए काम शुरू कर दिया और यह किताब मेरी उम्मीद से बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हुई। यहाँ तक कि अमेज़न पर बेस्टसेलर का टैग मिला साथ ही ‘ऑक्सफोर्ड बेस्ट सेलिंग स्टैंडस’ में जगह बनाई और मुझे राष्ट्रीय अवार्ड दिलवाया। इस प्रकार से एक बहुत ही शानदार करियर की शुरुआत हुई लेकिन जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूँ मैं नहीं चाहती थी कि यह सब किसी और तरीके से हो।

एलिस का नाम “इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स”सबसे युवा लेखक के तौर पर दर्ज है जिसने चार किताबें 1 दिन में लिखने और प्रकाशित करने का कीर्तिमान स्थापित किया था। वह कहती हैं कि “मुझे याद है मैंने पांच बार फेल होने के बाद यह कारनामा करके दिखाया था, हालांकि 1 दिन में चार किताबें लिखना और प्रकाशित करना असंभव सा है लेकिन मुझे मेरे अद्भुत जुनून ने वो सब कर दिखाया।“

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“एक सोशल एंटरप्रेन्योर बनने की यह यात्रा शानदार थी” –  एलिस शर्मा

एलिस केदारनाथ, 2013 में आई आपदा से बचे उन लोगों में से एक है जो वहाँ फंसे हुए थे और लगभग 90,000 लोग मर चूके थे, लाखों लापता थे। वह याद करती है कि “वो एक कमरे में परिवार के साथ फंसे हुए थे जहाँ वो 5 दिन तक रहे। वहाँ न तो खाना था, न ही साफ सफाई बस चारों तरफ लाशें थी। मुझे वापस आने की कोई उम्मीद नहीं लग रही थी”।

उसको बचाव अभियान दल द्वारा बचाया गया था फिर उसने 19 साल की उम्र में NGO की स्थापना की। एलिस बताती है कि “उसने जिंदगी के अंत को करीब से देखा था, इमारतों को धूल होते हुए देखा है और जिंदगियां खत्म होते देखी थी। मैंने कई लोगों को अपने ही परिवारजनों के शव को छोड़ते हुए देखा है क्योंकि सबको अपनी जान बचानी थी। इतनी कम उम्र में यह सब देखना मेरे लिए परिवर्तनकारी सिद्ध हुआ लेकिन उसने मुझे निडर बना दिया ताकि मैं बाहर निकाल कर लोगों की उनकी आपदाओं में मदद कर सकूँ”।

एलिस के लिए सामाजिक परिवर्तन का जुनून उनकी इच्छाशक्ति से आया जिसमें उन्होंने न केवल शब्दों से बल्कि काम करके अंजाम दिया। वह कहती हैं कि “सोशल स्टार्टअप पैसा कमाने के लिए नहीं है यह सब परिवर्तन लाने के लिए है।“ हम फायदे के लिए नहीं परिवर्तन की सोचते है। हम जमीनी तौर पर उन पिछड़े हुए और दलित लोगों के लिए संघर्ष करते हैं जो अंत की ओर बढ़ रहे हैं। एक सोशल एंटरप्रेन्योर की जिंदगी का मतलब ईयर्ली टर्नओवर से नहीं होना चाहिये। उनका जीवन दलित और कमजोर वर्ग को आगे लाने के लिए होना चाहिए”।

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इस 23 वर्षीय सोशल एंटरप्रेन्योर को अपनी योजनाएं लागू करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा था और वह बताती हैं कि मैंने इस स्टार्टअप के लिए बहुत चुनौतियां स्वीकार की है| “वस्त्र और जिंदगियां फाउंडेशन” की फाउंडर होने का मुझे मुख्य रूप से दो चुनौतियों का सामना करना पड़ा। एक तो अच्छी टीम बनाना और एक फंडिंग फ्लो सुचारू रूप से चलाना वो भी लॉकडाउन की अवधि में। मैं कहूँगी कि सोशल एंटरप्रेन्योर व फाउंडर होने के कारण मेरे लिए अच्छी टीम बनाना बहुत संघर्ष भरा रहा क्योंकि आपकी टीम ही आपकी योजनाओं का भाग्य निर्धारित करती है। दूसरी चुनौती यह थी कि पैसा कम हो रहा था और हम क्राउडफंडिंग से पैसे इकट्ठा करते थे जो लॉकडाउन में संभव नहीं हो सकता है और हम किसी से दान करने के लिए भी नहीं बोल सकते थे क्योंकि उनकी खुद की जिंदगी बहुत परेशानी में थी, तार्किक रूप से उन से दान लेना गलत था। फिर भी हमने अच्छे से प्रबंधन किया और इस महामारी के समय मे 3,50,000 शरणार्थी लोगों को खाना खिलाने में सक्षम थे।

एलिस NGO के माध्यम से वह वंचित वर्गों की 2019 से सेवा कर रही है। इस टीम ने इस महामारी के दौरान 3,50,000 लोगों की मदद करी थी। एलिस कहती हैं कि वर्तमान की एनजीओ की संरचना को दिमाग में रखकर हम तीन दिशाओं में काम कर रहे हैं, पहला ये बच्चों का समग्र विकास करना है जिनसे उस जिसमें उनके जीवन कौशल और मनोरंजनात्मक गतिविधियों सिखाई जाएंगी। दूसरा,यौन उत्पीड़न और घरेलू हिंसा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर वंचित महिलाओं के लिए कानून व्यवस्था पर काम करेंगे।तीसरा, हम उन वंचितों और दलित वर्गों को पौष्टिक भोजन खिलाते है जो भूख से मर रहे हैं।

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एक सफल एंटरप्रेन्योर बनने का राज़ पूछने पर एलिस बताती है कि “यह सब अपने लिए और अपने काम के लिए ईमानदार बने रहने से हुआ है। मेरे लिए एक सोशल एंटरप्रेन्योर होने के नाते हम फायदे के पीछे न भागकर सिर्फ उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं। आज कल बहुत से एंटरप्रेन्योर सिर्फ फायदे के पीछे भागते है और वो भी बिना किसी उद्देश्य के यहीं कारण है कि बहुत सारे स्टार्टअप शुरुआत में ही बंद करने पड़ जाते है। जितना मैंने जिंदगी से सीखा है वह सब यह है कि अपने लिए ईमानदार रहना और अपने काम के लिए सच्चे रहना और जीवन का एक उद्देश्य रखना है”।

जब उनके आदर्श व्यक्ति के बारे में पूछा जाता है तो वो कहती हैं कि “यह सब आपको अजीब लग सकता है लेकिन मैं किसी मानवीय और भौतिक प्रेरणा को मेरा आदर्श नहीं मानती। यह दोनों बातें विपरीत लग सकती है लेकिन यह मेरा गुस्सा नहीं है यह मेरी गलतियों को स्वीकार करने की क्षमता है। मेरी असफलताओं से ज्यादा मुझे कुछ भी प्रेरित नहीं करता है। किसी और को आदर्श बताना गलत होगा क्योंकि मैंने यह सब अपने आप की असफलताओं से सीखा है। मेरी असफलता ही मेरे लिए प्रेरक है”।

अंत में एलिस शर्मा कॉलेज के ग्रेजुएटस् को सलाह देना चाहती है कि “जो सोशल एंटरप्रेन्योर बनना चाहते हैं वो अपने लिए ईमानदार रहे और आप संसार मे किसी के भी साथ धोखा कर सकते हैं लेकिन यदि ऐसा आपने अपने साथ किया तो आप अंत की तरफ बढ़ेंगे और सब कुछ खत्म हो जाएगा। यह सब मोटीवेशनल स्पीच नहीं है ये वो सब है जो मैंने महसूस किया है, मैंने सीखा है पूरी दुनिया आपकी है बाहर निकलो और अपना नाम स्थापित करो।

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